प्रेमानंद महाराज की उम्र, प्रेमानंद महाराज का आश्रम, श्री हित धाम कहाँ
प्रेमानंद महाराज की उम्र, प्रेमानंद महाराज का आश्रम, श्री हित धाम कहाँ है, श्री हित प्रेमानंद महाराज जी के बारें में, प्रेमानंद महाराज के प्रवचन जैसी कई जानकारियां हम आज आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से देने वाले हैं तो इन तमाम जानकारियों के लिए हमारा आर्टिकल जरूर पढ़ें। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप प्रेमानंद जी महाराज के बारे में ऐसी जानकारियां जुटा लेंगे जो कि आपको आश्चर्य में भी डाल सकती है।
लोगों की अध्यात्म की ओर बढ़ती रुचि का श्रेय कहीं ना कहीं उन संतो को जाता है जो अपने उपदेशों को जनता के बीच पहुंचाते हैं। इसके साथ ही लोगों को धर्म से जोड़ते हैं। ऐसे ही महान प्रेमानंद महाराज ( Premanand Ji Maharaj) का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर के अखरी गांव में हुआ था। उनका परिवार एक विनम्र और सात्विक ब्राह्मण परिवार था। आपको बता दें उनके परिवार में उनके दादा सन्यासी थे। और उनके घर का माहौल भी काफी भक्ति पूर्ण हुआ करता था यानी वह बचपन से ही ईश्वर के बेहद करीब रहे। इनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे था और इनकी माता का नाम श्रीमती रामा देवी था।
घर में आध्यात्मिक संत बाबाओ का आना जाना लगा रहता था। बचपन से ही अध्यात्म की और उनकी काफी रूचि थी. आपको बता दें कक्षा पांचवी तक आते-आते प्रेमानंद महाराज ने लगभग सभी प्रकार की चालीसा कंठस्थ कर ली थी वह हर रोज 10 से 15 प्रकार की चालीसा का पाठ करते और तिलक लगाकर स्कूल पढ़ने जाते थे।
बचपन के दिनों में उनके मन में एक विचित्र ख्याल आता था उनका सोचना था कि अगर घर के सभी सदस्य एक न एक दिन मर जाएंगे तो उनका इस दुनिया में कौन रहेगा और यही कारण है कि उन्होंने भगवान के चरणों को चुना। जब कक्षा नवी में पहुंचे तब उन्होंने घर छोड़ने का मन बना लिया। प्रेमानंद महाराज अपनी माता से सबसे अधिक स्नेह करते थे, यही कारण है कि उन्होंने अपनी मन की बात अपनी माता से कहीं तब उनकी माता को लगा कि यह बचपन में उनके मन में आया ख्याल है जो कुछ दिनों के बाद अपने आप चला जाएगा।
लेकिन अगले दिन सुबह 3:00 बजे उनके मन में ऐसी व्याकुलता उठी की उनको लगा कि आप भी अपना जीवन भगवान के चरणों में न्योछावर कर दें और इसी विचार के साथ 13 साल की उम्र में महाराज ने अपना घर छोड़ दिया और वह घर से अनंत यात्रा पर निकल गए।
प्रेमानंद जी महाराज का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। एक अध्यात्मिक संत हैं जो लोगों को उनका जीवन सरल बनाने के लिए उपदेश देते हैं साथ ही अध्यात्म की ओर लोगों को जोड़ते हैं। वे एक विनम्र और सात्विक परिवार में पैदा हुए थे। उनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। आपको बता दें कि प्रेमानंद जी महाराज अपने भक्तों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं और उनकी प्रसिद्धि का मुख्य कारण उनकी कुछ विशेषताएं हैं जो उन्हें औरों से अलग बनाती हैं। इनके गुरु का नाम श्री हित गोविंद शरण जी महाराज है। महाराज जी वृंदावन में रहते हैं और उनका आश्रम भी वृंदावन में ही है।
महाराज ने अपने शुरुआती दिनों में वाराणसी में तपस्या की गंगा किनारे एक विशाल पीपल के वृक्ष के नीचे आसन लगाकर कुछ देर तक बैठकर गंगा जी और भगवान महादेव का ध्यान करते थे उसके बाद भिखारियों की लाइन में लगकर 10 से 15 मिनट तक के लिए वह भीख मांगते थे और इस दौरान उन्हें जो कुछ मिल जाता था बस 24 घंटे उसी में अपना गुजारा करते थे। और उसके बाद 24 घंटे के लिए एकांतवास में चले जाते थे। कई बार ऐसा भी होता था कि महाराज जी को कई दिनों तक बिन भोजन केवल गंगाजल पीकर ही रहना पड़ता था।
Premanannd Ji Maharaj के बारे में आपको बताएं तो आपको बता दें की इनकी दोनों किडनी या विगत कई वर्षों से खराब है और यह हमेशा पीले वस्त्र ही धारण करते हैं साथ ही लोगों के हर सवाल का जवाब एक कांत वार्ता के माध्यम से ही देते हैं।
प्रेमानंद महाराज वर्तमान में वृंदावन में रह रहे हैं और अपना समय अध्यात्म और ध्यान की गतिविधियों में बिताते हैं। बताया जाता है कि वृद्धावस्था में होने के बावजूद प्रेमानंद महाराज काफी अच्छे स्वास्थ्य में है वृंदावन में रहते हैं और ईश्वर की भक्ति में ही अपने जीवन बिताते हैं। वे अपने ज्ञान और शिक्षा से लोगों का जीवन सरल बनाने में उनकी मदद करते हैं और इसी कारण दुनिया भर के लोगों द्वारा उन्हें बहुत सम्मान मिलता है। फिलहाल उनकी उम्र करीब 60 वर्ष है। प्रेमानंद जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था। उनका उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ लेकिन उनके परिवार में बेहद धार्मिक माहौल था यही कारण है कि बचपन से ही उनकी रूचि धार्मिक कार्यों में रही और वे सदा ईश्वर के करीब रहे।
उनके परिवार में उनके पिता श्री शंभू पांडे एक भक्त व्यक्ति थे और उन्होंने बाद में वर्षों में सन्यास स्वीकार कर लिया इसके साथ ही उनकी माता श्रीमती रमा देवी बहुत पवित्र महिला थी और सभी संतो के लिए उनके मन में बहुत सम्मान था। उनके माता-पिता नियमित रूप से संत सेवा करते और विभिन्न भक्ति सेवा में लगे रहते थे उनके बड़े भाई श्रीमद् भागवत के श्लोक पढ़कर परिवार के आध्यात्मिक आभा को पढ़ाते थे। इसी माहौल के कारण प्रेमानंद महाराज का झुका सदैव ईश्वर भक्ति में ही लगा रहा।
प्रेमानंद महाराज अपने आश्रम में वृंदावन में ही रहते हैं वृंदावन में ही उनका आश्रम है जहां पर वह हमेशा राधा कृष्ण की भक्ति में लीन रहते हैं। और लोगों को भी राधा कृष्ण की भक्ति करने के उपदेश देते हैं। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि हमें अपने स्वास्थ्य पर खास ध्यान देना चाहिए और ईश्वर की भक्ति करना चाहिए इसके साथ ही उनका कहना है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। वर्तमान में भी महाराज जी वृंदावन धाम में अपने आश्रम में कई वर्षों से लगातार रह रहे हैं और राधा जी की सेवा करते हैं। उनके आश्रम में जाने वाले भक्तों से विभेद करते हैं और उनके प्रश्नों को सुनकर उनकी दुविधा को दूर करते हैं और उन्हें उत्तर देते हैं आपको बता दें कि कई वर्षों से उनकी दोनों किडनी खराब है और उनकी आयु भी लगभग 60 वर्ष हो चुकी है.
इसके बावजूद वे ईश्वर भक्ति में लीन रहते हैं और किसी प्रकार की समस्या ना होकर वह बिल्कुल स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। राधा रानी की कृपा से ही उनकी इतनी ख्याति हो गई है कि उनके आश्रम में कई लोग उनसे मिलने जाते हैं प्रेमानंद जी महाराज लोगों को श्री राधा रानी जी की भक्ति मार्ग पर चलने के लिए कहते हैं। आपको बता दें इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली हाल ही में श्री प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लेने के लिए अपने परिवार सहित वृंदावन गए और महाराज जी के विचारों को सुना जिसने भी महाराज जी के विचार सुने व उनके भक्त हो गए।
आपको बता दें महाराज जी उनके आश्रम में ही रहते हैं और उनके वृंदावन स्थित आश्रम में ही वे लोगों से भेंट करते हैं उनका संपर्क नंबर सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन अगर उनसे संपर्क करना हो तो श्री हित राधा केली कुंज, वृंदावन परिक्रमा मार्ग, वराह घाट, दावन उत्तर प्रदेश जाना होगा।
Shri Hit Dham एक आश्रम है जहां पर महाराज जी श्री राधा वल्लभ थी भक्ति करते हैं और रहते हैं। श्री हित धाम उत्तर प्रदेश के वृंदावन में परिक्रमा मार्ग पुरानी कालिदाहा में है। श्रीधाम एक ऐसा आश्रम है जहां आप ईश्वर से कनेक्ट कर सकते हैं। अपने अंदर शांति का अनुभव करने के लिए आप श्री हित धाम जा सकते हैं। यहां पर अध्यात्म के साथ-साथ योगा सेशन मेडिटेशन सेशन भी होते हैं यहां पर रहने की व्यवस्था है साथ ही स्वास्थ्यवर्धक भोजन भी दिया जाता है जो आपके शरीर और मन मस्तिष्क को शांति का अनुभव करवाता है।
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